भोपाल। प्रदेश में आरक्षण एवं एट्रोसिटी एक्ट को लेकर सियासत तेज होती जा रही है। एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में सवर्णों के भारत बंद के बाद अब ओबीसी एवं अजाक्त संगठन भी शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। 23 सितंबर को राजधानी में हजारों की सं या में आरक्षित वर्ग के लोग जुटेंगे। इस संबंध में ओबीसी, एससी-एसटी संयुक्त मोर्चा की ओर से बताया गया कि आगामी विधानसभा चुनाव में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट का विरोध करने वाले सवर्णों को वोट नहीं देंगे।
Votes, OBC, Aja-Jaza United Front announcement will not give those who oppose the Atrocity Act
संयुक्त मोर्चा अब प्रदेश में अभियान चलाकर आरक्षित वर्ग के लोगों के बीच यह संदेश पहुंचाएगा कि प्रदेश के ओबीसी 52 फीसदी है, जबकि एससी 16 एवं एसटी 20 फीसदी है। इसके बावजूद भी राजनीतिक दल आरक्षण एवं एट्रोसिटी एक्ट का विरोध करने वाले सवर्णों का समर्थन कर रहे हैं। ओबीसी, एससी-एसटी मोर्चा का बयान ऐसे समय में आया है, जब मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि एट्रोसिटी एक्ट के तहत प्रदेश में बिना जांच के कार्रवाई नहीं होगी।
किसी को गिर तार नहीं होने दिया जाएगा। मु यमंत्री के इस बयान की भी संयुक्त मोर्चा ने कड़ी निंदा की है। संयुक्त मोर्चा के एसएल सूर्यवंशी, विजय शंकर श्रवण एवं लोकेन्द्र गुर्जर ने राजधानी में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि अब संयुक्त मोर्चा ने तय किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में आरक्षित वर्ग किसी ऐसे सवर्ण प्रत्याशी को वोट नहीं देगा, जो आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट का विरोधी है।
ओबीस को 52 फीसदी आरक्षण
संयुक्त मोर्चा ने चुनाव से पहले नई मांग उठाना शुरू कर दिया है कि प्रदेश में ओबीसी को 52 फीसदी आरक्षण दिया जाए। साथ ही बैकलॉग के रिक्त पदों पर जल्द भर्ती की जाए। संयुक्त मोर्चा ने चेतावनी जारी की है कि प्रदेश में आचार संहिता लागू होने से पहले बैकलॉग पदां:े पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी की जाए। साथ ही 2 अप्रैल 2018 को जिन लोगों पर उपद्रव के झूठे प्रकरण दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए। इस संबंध में संयुक्त मोर्चा की ओर से राज्य सरकार को ज्ञापन भी सौंपा गया है।