व्यापारियों के संगठन का ऐलान, दिल्ली में नहीं घुसने देंगे वॉलमार्ट को

0
281

नई दिल्ली: देश की बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट और विश्व के सबसे बड़ी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट के बीच चल रही डील की खबरों से छोटे व मझोले व्यापारियों के बीच में भय व्याप्त होता जा रहा है. चैंबर आॅफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) का कहना है कि रिटेल में एफडीआई को अभी पूरी तरह से मंजूरी नहीं मिली है. यही कारण है कि वॉलमार्ट ई-कॉमर्स के माध्यम से भारत में पैर पसारने के लिए चोर रास्ता बना रहा है.
Walmart will not let the businessmen organize the announcement in Delhi
सीटीआई के संयोजक बृजेश गोयल व हेमंत गुप्ता का कहना है कि मामला देश के छोटे व मझोले व्यापारियों से जुड़ा है, इसलिए हम हर तरह से इसका विरोध करेंगे. वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच जो करार होने जा रहा है, वह न केवल छोटे व मझोले व्यापारियों के लिए तो चिंता का विषय है ही, बल्कि सरकार के लिए भी चिंता का विषय है. वालमार्ट कंपनी का इतिहास रहा है कि यह जिस देश में भी गई है, वहां के स्थानीय रिटेलरों को तो पूरी तरह से चौपट किया ही है, साथ ही उस देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ा है.

सीटीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता और महासचिव रमेश आहूजा ने बताया कि भारत का रिटेल बाजार लगभग 40 लाख करोड़ रुपये का है. यही कारण है कि वर्षों से वॉलमार्ट की नजर भारत पर लगी हुई है. लेकिन भारत सरकार को सोचना चाहिए कि अगर वॉलमार्ट जैसी कंपनी को देश में घुसने दिया जाता है तो यहां के छोटे व मझोले व्यापारियों का क्या होगा? हमारे देश की अर्थव्यवस्था में छोटे व मझोले व्यापारियों का भी बहुत योगदान है.

देश की बड़ी आबादी इससे जुड़ी है और अपनी रोजी रोटी चलाती है. दूसरा अहम पहलु यह भी है कि वॉलमार्ट ज्यादातर सामान चीन से तैयार करवाती है. वॉलमार्ट के देश में आने से चीनी उत्पादों को फिर बढ़ावा मिलेगा.  उन्होंने कहा कि सीटीआई वॉलमार्ट के विरोध में है और आने वाले दिनों में न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के व्यापारियों के साथ मिलकर इसका विरोध करेगा. उनका कहना है कि जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी होगा. हम लोग आखिरी समय तक वॉलमार्ट का विरोध करते रहेंगे और वॉलमार्ट को किसी भी कीमत पर दिल्ली में नहीं घुसने देंगे.