TIO भोपाल
15 महीने बाद सत्ता में आ रही भाजपा से अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल पर सियासी गलियारों में दिनभर सरगर्मी रही। पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शिवराज, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सबसे आगे हैं। फिर नरोत्तम मिश्रा के नाम की चर्चा है। दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह ने तोमर से अलग से बात की है। धर्मेंद्र प्रधान से भी दोनों की बात हुई। माना जा रहा है कि शिवराज-तोमर में से ही एक नाम को पार्टी आलाकमान प्राथमिकता दे सकती है। नरोत्तम को सरकार में पावरफुल दर्जा मिलेगा।
घटस्थापना के दिन पेश हो सकता है दावा
पहले माना जा रहा था कि शनिवार को भाजपा की बैठक बुलाकर विधायक दल का नेता चुन लिया जाएगा, लेकिन काेरोनावायरस के चलते बैठक सोमवार तक टाल दी गई। अब यह बैठक 23 मार्च को प्रस्तावित है। इसमें दिल्ली से पर्यवेक्षक के रूप में धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे भोपाल आ सकते हैं। 25 मार्च को नवरात्र की घटस्थापना के साथ ही भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।
कोरोना के कारण डिनर कैंसिल
इससे पहले शिवराज ने शुक्रवार शाम ही पार्टी विधायकों को डिनर पर बुलाया था, लेकिन बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सहस्त्रबुद्धे को फोन कर प्रधानमंत्री का संदेश दिया। इसके बाद डिनर कैंसिल कर दिया गया।
अब मुख्य सचिव, सीएम के प्रमुख सचिव हटेंगे!
भाजपा सरकार बनते ही मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी और सीएम के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल का हटना तय माना जा रहा है। रेड्डी इसी सप्ताह सीएस बने हैं। इनका कार्यकाल सितंबर 2020 तक है। वर्णवाल शिवराज के समय भी पीएस रहे। कमलनाथ ने भी वर्णवाल को बनाए रखा। अब माना जा रहा है कि प्रशासनिक सर्जरी में सबसे पहले ये दो बदलाव होंगे।
कमल नाथ सरकार का इस्तीफा मंजूर होते ही प्रदेश में प्रशासनिक स्तर पर बदलाव होना भी तय हो गया है। नई सरकार का गठन होते ही मंत्रालय में अधिकारियों के प्रभार में सबसे पहले परिवर्तन होगा। कलेक्टर से लेकर मुख्य सचिव तक बदले जाएंगे। मुख्य सचिव पद के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ दीपक खांडेकर, राधेश्याम जुलानिया और इकबाल सिंह बैंस का नाम चर्चा में हैं। वहीं, प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी विवेक अग्रवाल को भी प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा सरकार आने के बाद मंत्रालय से लेकर मैदानी स्तर पर व्यापक स्तर पर बदलाव किए जाएंगे। पिछले दिनों गुना, ग्वालियर सहित कुछ अन्य जिलों के कलेक्टर इस आधार पर कमल नाथ सरकार ने बदल दिए थे कि उनकी पदस्थापना ज्योतिरादित्य सिंधिया की सहमति से की गई थी। अब इन जिलों में नए सिरे से प्रशासनिक जमावट होगी।
राजगढ़ कलेक्टर ‘निशाने’ पर
नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में रैली के दौरान राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता से भाजपा नेताओं का विवाद हुआ था। अब इसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ सकता है।
मुख्य सचिव कार्यालय से लेकर प्रमुख विभागों में अधिकारी नए सिरे से होंगे तैनात
मंत्रालय में सीएम व मुख्य सचिव कार्यालय से लेकर प्रमुख विभागों में अधिकारी नए सिरे से तैनात होंगे। बताया जा रहा है कि सरकार ने राजनीतिक उठापटक के बीच जिस तरह 1985 बैच के अधिकारी एम गोपाल रेड्डी को मुख्य सचिव बनाया था, उसके चलते माना जा रहा है कि उन्हें ज्यादा समय इस पद पर नहीं रखा जाएगा। रेड्डी की जगह 1985 बैच के अधिकारी राधेश्याम जुलानिया, दीपक खांडेकर व इकबाल सिंह बैंस में से किसी को मुख्य सचिव बनाया जा सकता है। तीनों ही अधिकारी भाजपा सरकार में प्रमुख पदों पर काम कर चुके हैं।
खांडेकर और बैंस पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव रह चुके हैं।
– जुलानिया को लंबे समय तक जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी सौंपी थी। कमल नाथ सरकार में जब उन्हें मुख्य सचिव नहीं बनाया गया तो वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए। इन्हें वापस बुलाया जा सकता है।
– शिवराज सरकार में भी इकबाल सिंह बैंस को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा चुका है।
विवेक अग्रवाल, जो प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान सबसे प्रभावशाली अधिकारी माने जाते रहे हैं, उन्हें भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा सकता है।
आईएएस अधिकारी श्रीवास्तव पर सहमति नहीं बनी थी तो बसंत प्रताप सिंह पर मुख्य सचिव बनाया गया
सूत्रों का कहना है कि 1984 बैच के आईएएस अधिकारी एपी श्रीवास्तव को शिवराज सरकार में पसंद तो किया गया पर जब उन्होंने मुख्य सचिव बनाए जाने की इच्छा जाहिर की तो सहमति नहीं बनी। उनके स्थान पर इसी बैच के अधिकारी बसंत प्रताप सिंह पर भरोसा जताते हुए मुख्य सचिव बनाया गया। इससे खफा होकर वे कुछ समय अवकाश पर भी चले गए थे और बाद में उन्हें प्रशासन अकादमी में पदस्थ किया गया था। उधर, 1985 बैच के प्रभांशु कमल मई और 1984 बैच के अधिकारी पीसी मीना जुलाई में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में इन्हें मौका नहीं मिलने की संभावना बेहद कम मानी जा रही है।
कमल हो सकते हैं विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष
सूत्रों के मुताबिक नए समीकरणों के चलते प्रभांशु कमल को राज्य विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया का नजदीकी माना जाता है। कमल नाथ सरकार में सुधिरंजन मोहंती को इस पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। आयोग के अध्यक्ष के लिए नाम प्रस्तावित करने चयन समिति की बैठक भी गुरुवार को बुला ली गई थी लेकिन अध्यक्ष सेवानिवृत्त सुनील कुमार पालो के नहीं आ पाने की वजह से यह 23 मार्च तक के लिए स्थगित हो गई।