TIO भोपाल
मध्यप्रदेश के चर्चित हनीट्रैप कांड में एसआईटी के बाद ईडी की इंट्री हो गई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ईडी हनीट्रैप के आकाओं का नाम उजागर कर पाएगी या एसआईटी की तरह जांच कर यह रहस्य ओपन नहीं करेगी। चर्चा है कि ईडी ने एसआईटी से आरोपी महिलाओं की विदेश यात्रा के साथ केंद्र की योजनाओं के लिए मुहैया कराई राशि का एनजीओ के माध्यम से दुरुपयोग करने से जुड़ी जानकारी से मांगी है।
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस (Honey Trap Case) में अब ईडी (Enforcement Directorate) की एंट्री हो गई है. ईडी ने आरोपी महिलाओं की विदेश यात्रा के साथ केंद्र की योजनाओं के लिए मुहैया कराई राशि का एनजीओ (NGO) के माध्यम से दुरुपयोग करने से जुड़ी जानकारी एसआईटी (SIT) से मांगी है. आरोपी महिलाओं के हनी ट्रैप में फंसे कई अधिकारियों और राजनेताओं ने विदेशी यात्रा के साथ अपने एनजीओ के लिए केंद्र की योजनाओं से करोड़ों का फंड लिया था.
हनी ट्रैप कांड का खुलासा सबसे पहले इंदौर पुलिस ने किया था. इंदौर पुलिस ने नगर निगम के इंजीनियर की शिकायत पर छतरपुर और राजगढ़ की महिला आरोपियों को गिरफ्तार किया था. आरोपियों ने गिरफ्तारी के बाद भोपाल की तीन अलग आरोपी महिलाओं के नामों का खुलासा किया. जबकि मामला बढ़ता देख इंटेलिजेंस और एटीएस की टीम ने पुलिस के साथ भोपाल में छापेमार कार्रवाई कर तीनों महिलाओं को गिरफ्तार किया. उनके पास से कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और 14 लाख रुपए नकद भी मिले थे.
भाजपा, कांग्रेस और RSS से नेताओं के भी बताए जा रहे
इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. मौजूदा एसआईटी के प्रमुख स्पेशल डीजी राजेंद्र कुमार हैं. सूत्रों के अनुसार एसआईटी की जांच में मिले ऑडियो और वीडियो में 137 प्रमुख चेहरे बेनकाब हुए हैं. सबसे ज्यादा 54 चेहरे आईएएस और आईपीएस अफसरों के हैं. इन चेहरों में भाजपा, कांग्रेस और RSS से नेताओं के भी बताए जा रहे हैं. जबकि कई उद्योगपति और कारोबारियों के साथ नामी बिल्डर भी हनी ट्रैप में फंसे हैं.
विधि मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार सबकुछ कर रही है. उनके लोग फंसे हैं, उनसे संबंधित अधिकारी भी फंसे हैं. उन सभी लोगों को निकालने के लिए यह सब किया जा रहा है, लेकिन ऐसा होगा नहीं.