मध्याह्न भोजन पर महंगाई की मार, बाजार में खुली राशन सामग्री महंगी होने से शिक्षा विभाग ने नई व्यवस्था लागू की

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भोपाल। बच्चों के सुपोषण के लिए शुरू की गई मध्याह्न भोजन योजना भी महंगाई की मार से चरमरा गई है। इसलिए प्रदेश के 1,14,000 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में अध्ययनरत 60 लाख 31 हजार बच्चों को अब ‘सरकारीझ् दाल-चावल खाना पड़ेगा।  सूत्रों के अनुसार सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को दिए जा रहे मध्याह्न भोजन के लिए दाल-चावल सहित अन्य सामग्री अब सरकारी राशन की दुकान से खरीदी जाएगी। बाजार में खुली राशन सामग्री महंगी होने के कारण शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है। इसको लेकर सभी कलेक्टरों से आग्रह किया है कि इस योजना को लागू करने के लिए सहयोग करें।
With the rise of inflation over mid-day meal, the open market ration material is expensive due to the education department introduced new system
1,100 करोड़ रुपए का बजट
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने इस बार स्कूली बच्चों को मध्याह्न भोजन के लिए बजट में 1,100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। लेकिन छह माह बाद सरकार को ऐसा लगने लगा है कि अब इस राशि से सालभर मध्याह्न भोजन नहीं कराया जा सकता। इसलिए अब सामग्री राशन की दुकान से खरीदी जाएगी।

कलेक्टरों को पत्र भी जारी
प्रदेश में अभी मध्याह्न भोजन शहरी क्षेत्र में एनजीओ के माध्यम से तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से बनवाया जा रहा है। मध्याह्न भोजन में उपयोग होने वाला राशन अभी बाजार से खरीदा जा रहा है और बाजार की तेजी-मंदी के कारण कई बार मध्याह्न भोजन का बजट गड़बड़ा जाता है। लिहाजा अब मध्याह्न भोजन में उपयोग होने वाले दाल-चावल सहित अन्य राशन अब सरकारी राशन दुकानों से खरीदने का निर्णय लिया गया है। शिक्षा आयुक्त ने इस संबंध में सभी कलेक्टरों को पत्र भी जारी किया है और उनसे आग्रह किया है कि इस नई व्यवस्था को लागू करने में सहयोग करें।

भोजन की क्वालिटी ठीक करने दो निर्णय
गौरतलब है कि सरकारी स्कूल में बच्चे भोजन के लालच में नियमित रूप से आएं इसके चलते मध्याह्न भोजन योजना पिछले कई वर्ष से चल रही है। इस योजना में शासन हर वर्ष करोड़ों रुपए का बजट आवंटित करता है। मध्याह्न भोजन की क्वालिटी ठीक रहे इसको लेकर हाल ही में दो निर्णय और लिए गए। इनमें पहला निर्णय मध्याह्न भोजन के निर्माण सहित बच्चों को भोजन में क्या दिया जा रहा है इसका फोटो रोज वॉट्सअप पर अधिकारियों को भेजने के साथ क्वालिटी जांचने के लिए 11 अधिकारियों की टीम भी तैनात की गई है, जो प्रतिदिन आकस्मिक रूप से किसी भी स्कूल में जाकर भोजन की क्वालिटी देख रही है।

कई स्कूलों से भोजन के से पल जांच के लिए भेजे
सरकारी स्कूल में परोसे जा रहे मध्याह्न भोजन की क्वालिटी को लेकर हमेशा विवाद की स्थिति रही है। बच्चों की शिकायतें हैं कि उन्हें कभी जली तो कभी कच्चे रोटी दी जाती है। इसके अलावा दाल और सब्जी की क्वालिटी भी ठीक नहीं है। भोजन की क्वालिटी ठीक रहे इसको लेकर खाद्य और औषधि विभाग को भी अधिकार दिए गए हैं कि वह मध्याह्न भोजन की जांच करे। विभाग ने अभी कई स्कूलों से भोजन के नमूने लिए हैं और उन्हें जांच के लिए लेबोरेटरी भेजा गया है।

इधर नहीं मिट रहा कुपोषण का कलंक
सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश में कुपोषण का कलंक नहीं मिट पा रहा है। प्रदेश के 51 जिलों की एनआरसी में अप्रैल से जून 18 तक भर्ती किए गए 16135 कुपोषित बच्चों में से केवल 8,160 बच्चे ही टारगेट वेट गेन कर पाए हैं। 51 प्रतिशत बच्चों को वेट गेन करने के बाद डिस्चार्ज किया गया है, लेकिन 7 हजार 975 बच्चों की स्थिति अच्छी नहीं है। इन बच्चों का वजन नहीं बढ़ सका है। यह हकीकत संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं के हेल्थ बुलेटिन में सामने आई है। यह रिपोर्ट कुपोषित बच्चों को लेकर किए जा रहे सरकारी दावों की पोल खोल रही है।