आप के पंजाब इकाई में बगावत के सुर, पार्टी से निलंबित सुखपाल के साथ विधायकों ने किया कार्यकर्ता सम्मेलन

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चंडीगढ़। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई में उथल-पुथल जारी है। नेता विपक्ष और विधायक दल के नेता पद से निलंबित सुखपाल सिंह खैरा के नेतृत्व में कुछ आप विधायकों ने बठिंडा में गुरुवार को कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया। यहां उन्होंने कहा कि पार्टी की पंजाब इकाई के वर्तमान ढांचे को भंग कर ‘स्वायत्त’ किया जाएगा।
Workers’ Conference organized by the MLAs in the Punjab unit
यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी की राज्य इकाई में शीर्ष नेतृत्व का दखल नहीं होगा। गुरुवार को बठिंडा में खैरा के नेतृत्व में बागी विधायकों ने कहा कि वह पार्टी में रहकर ही शीर्ष नेतृत्व की तानाशाही को चुनौती देंगे।  इससे पहले इस सम्मेलन को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और पार्टी के पंजाब मामलों के इनचार्ज मनीष सिसौदिया ने ऐंटी पार्टी घोषित किया था।

दिलचस्प बात यह है कि कंवेंशन के आयोजक अपनी कानूनी टीमों के साथ काम करते दिख रहे हैं ताकि वह अअढ के संविधान में बने रहकर विरोध करें। यही नहीं प्रवक्ताओं के अरविंद केजरीवाल पर जुबानी हमला बोलने के बाद भी उनकी तस्वीरें आयोजन स्थल के सभी पोस्टरों में लगाई गई थीं।

‘स्वयंसेवक पार्टी की रीढ़ हैं’
खैरा के अलावा यहां कंवर संधू, जगदेव सिंह कमलू, नजर सिंह मनसहिया, पीरमल सिंह खालसा, बलदेव सिंह और जगतर सिंह जग्गा हिस्सोवाल भी शामिल हुए थे। खैरा ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘अगर केंद्रीय नेतृत्व को ऐसा लगता है कि वॉलनटिअर्स को इकट्ठा करके जो कि पार्टी की रीढ़ हैं, वह एक पार्टी विरोधी कार्य है तो हम इस तरह की ऐक्टिविटी से नहीं डरते हैं। हमें केवल स्वयंसेवकों की चिंता है जिन्होंने इस पार्टी के लिए पसीना बहाया है। आज हमने पंजाब इकाई को पार्टी से अलग करने और इसे केंद्रीय नेतृत्व के दखलअंदाजी से दूर करने के लिए एक आंदोलन चलाया है।’

इसके बाद संधू ने कहा, ‘2017 विधानसभा चुनाव में टिकटों के गलत बंटवारे की वजह से हमें 50 सीटों पर नुकसान हुआ था। टिकटों के बंटवारे में पैसा भी लगने लगा लेकिन हमें इसके खिलाफ आवाज उठाने से रोका गया जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा।’ बागी विधायकों ने कहा कि अबसे वह अपने फैसले खुद लेंगे और शीर्ष नेतृत्व को उनकी जानकारी दे देंगे।

खैरा के समर्थकों ने कहा कि आम आदमी पार्टी को केवल केजरीवाल के जरिए ही नहीं जानना चाहिए बल्कि पार्टी में स्वयंसेवकों को प्राथमिकता देनी चाहिए। विधायकों ने कहा कि अगर केजरीवाल दिल्ली में केंद्र सरकार से स्वायत्त की मांग करते हैं तो उन्हें वैसे ही आजादी पार्टी की पंजाब यूनिट को भी देनी चाहिए।

नाराज विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहते केजरीवाल!
बता दें कि नेता विपक्ष के पद से सुखपाल सिंह खैरा को हटाने के फैसले के बाद से विवाद शुरू हुआ। उनकी जगह हरपाल सिंह चीमा की नियुक्ति हुई। हालांकि बठिंडा में हुए कंवेंशन में नेताओं ने चीमा की नियुक्ति को स्वीकार न करते हुए एक हफ्ते के अंदर मीटिंग बुलाने की मांग जहां नेता प्रतिपक्ष चुना जाएगा।

दिल्ली के बाद पंजाब ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां पार्टी विधानसभा में मौजूद है। ऐसे में नाराज विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खुद अरविंद केजरीवाल भी इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने बठिंडा में कंवेंशन के दौरान ही दिल्ली में 11 विधायकों के साथ अलग मीटिंग की। उन्होंने यह भी कहा कि वह स्वयंसेवकों से मिलने पंजाब जाएंगे।