वर्ल्ड शेफ़ डे

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शशी कुमार केसवानी

मुझे खाने का बहुत शौक है पर उससे ज्यादा बनाने वाले शेफ से बात करके उन चीजों के बारे में जानने का और भी ज्यादा शौक है। दुनिया के बेहतरीन शेफ़ जितने मेरे संपर्क में आ सके सबसे खाने के बारे में मेने बहुत बात की है। मेरे खाने का स्वाद इसी से बढ़ा है। मैनेें हर शेफ़ के अंदर एक छोटा बच्चा देखा है। जो हमेशा कुछ नया करना चाहता है। पर साथ ही साथ पुरानी परंपरा को भी नहीं छोड़ता है। कई शेफ़ के इंटरव्यू किए हैं। पर हर शेफ़ के अंदर अलग तरह की क्रिएटिविटी दिखती है। कुछ शेफ़ पुरानी चीजों को नयी तरह से पेश करते हैं, पर उसका स्वाद नहीं बदलते जिसके कारण वो चीजें और भी ज्यादा स्वादिष्ट लगती हैं। मसलन आईटीसी में जो पुराने शेफ़ आज भी हैं। असल में वह खानसामे हैं। उनके हाथ की दाल बुखारा आज भी वही स्वाद हे जो सालों पहले था। बस बदला है तो उनके प्रेजेंटेशन का ढंग। ऐसे कई किस्से कहानियां हैं पर आज के दिन सारे शेफ़ को वर्ल्ड शेफ़ डे की बधाई अच्छा बनायें, अच्छा खिलाएं।