“राष्ट्र की आराधना” और “भारत माता का सम्मान”

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काव्ययात्रा के एक महत्वपूर्ण चरण यूनाइटेड किंगडम के इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और आयरलैंड व यूरोपीय देश रिपब्लिक आॅफ आयरलैंड के 14 शहरों में भारतीयों के बीच काव्यपाठ की सुखद अनुभूति के साथ स्वदेश वापसी हुई। अनेक नए अनुभव हुए। सबसे पहले तो जो लोग यह कहते हैं कि वीर रस य देशभक्ति की कविता विदेशों में नहीं सुनी जाती गलत सिद्ध हुई।”राष्ट्र की आराधना” और “भारत माता का सम्मान” सहित “जागो” कविता के अंश जिस तरह सुने गए व उनकी प्रतिक्रिया मिली यह मेरे लिए महत्वपूर्ण था।
“Worship of the nation” and “Respect of Mother India”
हिंदी पखवाड़े में 15 दिवसीय यह आयोजन ब्रिटेन स्थित भारतीय उच्चायोग लन्दन और भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद का एक महत्वपूर्ण यज्ञ है। विगत 25 वर्षों से यह कार्य कड़े परिश्रम और भारतीय समुदाय की संस्थाओं के माध्यम से सम्पन्न हो रहा है। मैं दो महत्वपूर्ण नामो का उल्लेख करना चाहूंगा एक तरुण कुमार हिंदी अधिकारी भारतीय उच्चायोग लन्दन जिनका सतत प्रयास और कार्यक्रम की रूपरेखा के अलावा पूरे समय कवियों के साथ सफर में रह कर अपनत्व भरा माहौल देते हुए सफर को जीवंत रखने में महत्व पूर्ण योगदान रहता है और केबीएल सक्सेना जो 80 बरस के होकर भी युवायों सी ऊर्जा लिए कार्यक्रम का समन्वय करते हैं।

वे न केवल समन्वय ही करते हैं बल्कि पूरी यात्रा में साथ रह कर समय प्रबंधन, और यात्रा प्रबंधन के साथ कवियों को अपने घर से माहौल प्रदान करते हैं।यह विदेश में हिंदी के प्रति अटूट निष्ठा का प्रणम्य उदाहरण है। मैं यहां हमारे साथ अपनी लक्जरी मोटर वैन लेकर यात्रा के सारथी के रूप में जुड़े जीत सिंह और उनके भाई जोगिंदर सिंह जी को भी याद करूँगा जिनका प्रेम बेहद प्रशसनीय रहा। श्रोता और संयोजक संस्थाओं के सदस्य किस तरह प्रतिबद्ध होकर हिंदी के लिए कार्य कर रहे हैं यह भारतीय होने के नाते हमारे लिए गर्व और सुखद सन्तोष का विषय है।

इस वर्ष की टीम में आदर्णीय कुंवर बैचेन जी, कीर्ती काले जी, कविता किरण जी, श्रो मनवीर मधुर जी, अनिल चौबे जी के साथ मुझे यह अवसर प्राप्त हुआ। विश्वास करता हूँ यह हिंदी स्तुति का महायज्ञ अविराम जारी रहेगा और हिंदी कविता की महिमा चहुँओर दिव्य किरणे लिए मखमली धूप बिखेरती रहेंगी।