विज्ञापन व डर के जोर पे बड़े स्कूलों में छोटे बच्चों के हो रहे दाखिले

0
870

TIO

देशभर में हुए कुछ सर्वे में चौकाने वाली चीजें सामने आई है। आजकल स्कूलों के एडमिशन चल रहे है पर कुछ बड़े स्कूलों द्वारा कुछ अखबारों के साथ मिलकर विज्ञापन के दम पर पैरेंटस को खूब डराया जा रहा है के प्री-नर्सरी या नर्सरी ही एडमिशन करा ले नहीं तो बाद में नहीं होगा। इस तरह की चीजें करके पैरेंटस को इस तरह से डराया जा रहा है जैसे बाद में उनका बच्चा किसी स्कूल में एडमिशन न ले पाएगा। जबकि नियम है CBSE  और ICA का एफीलेशन (मान्यता) क्लास फर्स्ट से होती है। छह साल की उम्र तक तो बच्चों को घर के पास के फाउंडेशन स्कूल में ही पढ़ना चाहिए।

सवा दो साल का बच्चा घर से 12-18 किलोमीटर का सफर करके स्कूल पढ़ने जाएगा तो बच्चे की हालत क्या होगी और बड़े स्कूल कौन सा राकेट साइंस पढ़ा देते है जो इस उम्र में पढ़ना जरूरी है। जबकि प्री-नर्सरी और नर्सरी में तो प्लेवे मेथर्ड में ही पढ़ाया जाता है, जहां बच्चा खेल-खेल में पढ़ना सीखें तथा दोस्तों के साथ कुछ खेल-खेल में मां-बाप से दो-ढाई घंटे दूर रहने इस कारण ही प्री-नर्सरी, नर्सरी स्कूल में भेजा जाता है और खेल-खेल में कुछ चीजें सीख जाता है। बढ़े स्कूल को आपस में कॉम्पीटीशन बच्चे बढ़ाने की होड़ में इन बच्चों के साथ जो अन्याय होता है वो नजर नहीं आता है। हमारे एक सर्वे में 80 फीसदी पैरेंटस ने कहा है बड़े स्कूल हमेशा दबाव बनाकर एडमिशन करवाते है कि आज ही करा ले नहीं तो बाद में हमारे यहांं तो बिल्कुल ही नहीं हो पाएगा जिसकी वजह से लोग डर जाते है और अपने बच्चे का एडमिशन करा लेते है।

बाद में होने वाली परेशानियां देर में समझ में आती है। फिर वहां से लौटा भी नहीं जा सकता। जबकि बड़े स्कूल मोटी फीस भी वसूलते है। उनकी तुलना में फाउंडेशन स्कूल बहुत कम फीस में बेहतर शिक्षा देते है। बड़े स्कूल लाखों रुपए के विज्ञापन देकर अपनी ओर इन बच्चों के पैरेंटस को आकर्षित करते है जबकि मिशनरी स्कूल विज्ञापन नहीं देते और पैरेंटस को डराते भी नहीं है और एडमिशन केजी 1 से करते है तथा क्लास फर्स्ट में भी एडमिशन करते है। जबकि पब्लिक स्कूल आजकल सभी ने प्री-नर्सरी से चालू कर दिए है, जिसकी वजह से पैरेंटस बहुत चिंतित नजर आ रहे है। हो सकता है आने वाले समय में इस तरह की चीजें देखकर लोगों का पब्लिक स्कूलों से मोह भंग होता जाए तथा। अपने घर के पास के स्कूल में ही बच्चे को पढ़ाना पसंद करे या फिर वापिस मिशनरी स्कूलों की तरह ही रुख करें। आने वाले दिनों में इस तरह के हम सर्वे ओर भी पेश करेंगे।

घबराने की जरूरत नहीं
पैरेंटस को इन चीजों से डरना और घबराना नहीं चाहिए जब स्कूलों में प्री-नर्सरी या नर्सरी में एडमिशन नहीं कराएंगे तो केजी और फर्स्ट में सीटें खाली रहेंगी तो स्कूल वाले खुद ही उन सीटों पर एडमिशन करेंगे ही करेंगे। जबकि प्री-नर्सरी, नर्सरी बड़े स्कूलों में 25-30 बच्चे ही हो पाते है, जबकि केजी के सेक्शन 6-7 रहते है। बाकि बच्चे कहां से आएंगे इसलिए संयम से काम लें। एडमिशन को लेकर जल्दबाजी न करें। सोच समझककर निर्णय करें। कहीं ऐसा न हो पढ़ाई के नाम पर बच्चे का टार्चर होता रहे। कोशिश करके क्लास फर्स्ट में बड़े स्कूलों में ही एडमिशन करवाएं। अगर आपकी इच्छा बड़े स्कूलों में कराने की है तो केजी से पहले बिल्कुल न कराए जिससे बच्चा भी स्वस्थ्य रहे और आप भी खुश रहे।