TIO NEW DELHI
निजी स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के निजी स्कूलों में तीन महीने की फीस माफ करने के निर्देश देने संबंधी याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया। यह याचिका दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, पंजाब, ओडिशा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अभिभावक संघों की ओर से दायर की गयी थी। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अप्रैल, मई और जून की फीस माफी के आदेश देने और पूरे देश में लॉकडाउन की अवधि के दौरान की फीस के ढांचे और संग्रहण को नियंत्रित करने के लिए एक प्रणाली विकसित करने के निर्देश देने का अनुरोध किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने निजी स्कूलों के अखिल भारतीय संगठन नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (निसा) का पक्ष रखा और कोर्ट को विभिन्न व्यवहारिक पहलुओं से अवगत कराया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अपनी फरियाद संबंधित राज्यों के हाईकोर्टों में ले जाने की सलाह दी।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की खंडपीठ ने सुशील शर्मा एवं अन्य की याचिका सुनने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि स्कूल फीस संबंधी मुद्दे को संबंधित राज्यों के उच्च न्यायालयों के समक्ष उठाया जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि प्रत्येक राज्य की स्थिति अलग-अलग है। याचिकाकर्ताओं ने पूरे देश के स्कूलों के लिए यह याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, “यह हमारे लिए समस्या है कि पूरे देश के स्कूलों के लिए एकमुश्त तौर पर कौन निर्णय लेगा। प्रत्येक राज्य की अलग-अलग समस्याएं हैं। पक्षकार इस अदालत के अधिकार क्षेत्र को बहुप्रयोजन जैसा समझते हैं, लेकिन प्रत्येक राज्य और प्रत्येक जिले की स्थिति अलग-अलग हैं।”
निसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. कुलभूषण शर्मा ने याचिका पर सुनवाई करने से इंकार करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए इसका स्वागत किया। कुलभूषण शर्मा ने कहा फीस लेने न लेने का मामला कोर्ट के अंदर बहस करने का नहीं है। उन्होंने अभिभावकों से राष्ट्र की प्रगति और देश में स्कूली व्यवस्था को बेहतर बनाने में निजी स्कूलों की भूमिका को स्वीकार करने और इस कार्य में सहयोग करने का अनुरोध किया।