नया संकट : निजी स्कूलों से जुड़ा हजारों का स्टॉफ हो सकता है बेरोजगार

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  • ऑनलाइन क्लासेस चला रहे 45 सीबीएसई स्कूल
    फीस नहीं मिलने से सितंबर से हो सकते हैं बंद

इंदौर कीर्ति राणा

सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले 45 स्कूलों से जुड़े करीब 7 हजार शिक्षक व अन्य स्टॉफ के सामने सितंबर से बेरोजगारी का संकट पैदा हो सकता है।इसका मुख्य कारण रहेगा करीब 80 फीसदी पेरेट्स द्वारा 6 माह से ट्यूशन फीस नहीं जमा कराना, जबकि संचालकों ने एक मुश्त राशि की अपेक्षा छह किश्तों में जमा कराने का प्रस्ताव दे रखा है। इंदौर के 20 सहित प्रदेश के 25 स्कूलों के संचालक मजबूरी में स्कूल बंद करने का निर्णय ले सकते हैं।शत-प्रतिशत फीस न मिल पाने की वजह से स्कूल बंद हो भी गए तब भी स्कूल संचालकों को तो बसों, भवन आदि के लिए बैंकों से ऋण की किश्तों से राहत नहीं मिल पाएगी। कोर्ट ने भले ही निर्देश दे दिए हों कि ऐसे स्कूलों द्वारा लगाई जा रही ऑनलाइन क्लासेस के बदले पेरेंट्स को ट्यूशन फीस देना ही चाहिए लेकिन शत-प्रतिशत पेरेंट्स फीस जमा कराने को लेकर उत्साहित नहीं हैं, उन्हें अपने बच्चों का भविष्य प्रभावित होने की चिंता भी नहीं है।

नर्सरी से 12वीं तक के हैं स्कूल
इंदौर के 20 तथा होशंगाबाद, पिपरिया, कन्नौद, खातेगांव, सोहागपुर, बड़वानी, कसरावद, मंदसौर, उज्जैन आदि शहरों के 25 स्कूल हैं। कुछ स्कूलों की तो एक से अधिक शाखाएं हैं।एक स्कूल में अधिकतम 1500 स्टूडेंट हैं।कुल 45 स्कूलों में छात्रों की संख्या 60 हजार से अधिक है।इनमें से करीब 12 हजार स्टूडेंट के पालकों ने ही ट्यूशन फीस जमा कराने में तत्परता दिखाई है।
गैर वित्तीय सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के संगठन इंदौर स्कूल्स अलायंस के सौरभ सेंगर,संजय पाव और संरक्षक ध्रुव कुमार तिवारी के मुताबिक पेरेंट्स पर ट्यूशन फीस का भार न पड़े इसलिए कोर्ट के निर्देशों के तहत छह किश्तों में फीस जमा कराने का विकल्प दिया गया है लेकिन इसमें भी 20 प्रतिशत ने पेरेंट्स ने ही सहयोग किया है।ग्रामीण क्षेत्र वाले स्कूलों में तो पेरेंट्स ने पिछले साल की भी फीस जमा नहीं कराई है।

ऑनलाईन क्लासेस जारी है:
क्लास 9वीं से 12वीं : प्रतिदिन 3 पीरियड
क्लास 6ठी से 8वीं : प्रतिदिन 4 पीरियड
क्लास पहली-दूसरी : 2 पीरियड
नर्सरी स्टूडेंट : सप्ताह में दो दिन पेरेंट्स-मेंटर में चर्चा।इंदौर क्षेत्र में 70फीसद लग रही क्लासेस
ग्रामीण क्षेत्र में 20-30 फीसद, परेशानियां यह कि नेटवर्क नहीं मिलता, स्मार्ट फोन की परेशानी आदि।

45 स्कूल, 7 हजार स्टॉफ, असर 35 हजार पर
सीबीएसई वाले एक स्कूल में अधिकतम 15 सौ स्टूडेंट पर 150 का स्टाफ (70 शिक्षक और 80 अन्य स्टॉफ)।इस तरह 45 स्कूल बंद होने पर 7 हजार लोग बेरोजगार हुए तो इनसे जुड़े परिवारों के 35 हजार सदस्य पर असर होगा।
अभी जब कि शत-प्रतिशत फीस नहीं मिल रही है स्कूल संचालक स्टॉफ को भी पूरी तनख्वाह नहीं दे पा रहे हैं।इसके साथ ही स्कूल संचालकों को बैंकों से लिए विभिन्न लोन की किश्तें भी ब्याज सहित 5 सितंबर तक चुकाना ही है।
शासन ने तो स्पष्ट कर दिया है कि फीस माफी जैसी छूट नहीं है, पालक अंजान बन रहे हैं

संरक्षक ध्रुव तिवारी कहते हैं प्रदेश सरकार ने पालकों को स्कूलों की लॉक डाउन अवधि की फीस जमा करने के बारे में स्पष्टीकरण दे दिया है यानि उन्हें फीस माफी जैसी कोई छूट नहीं दी गई है। जो अभिभावक नौकरी पेशा हैं और सक्षम हैं वे भी फीस देने में आनाकानी कर रहे हैं। कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जो स्वेच्छा से फीस जमाकर रहे हैं। हालांकि उनकी संख्या काफी कम है। पालकों की, फीस नहीं भरने की जिद्द के चलते प्रदेश के गैर वित्तीय सहायता प्राप्त निजी स्कूलों पर बंद होने का खतरे का दायरा अन्य स्कूलों को भी चपेट में ले सकता है।यदि ऐसा होता है तो स्कूलों पर निर्भर दस लाख परिवारों पर आर्थिक संकट आ सकता है।उधर बोर्ड के नियमानुसार परीक्षाओं में शामिल होने के लिए भी 75% ऑनलाइन कक्षाओं में उपस्थिति अनिवार्य है, जिसके चलते 10 प्रतिशत बच्चों का भविष्य अभी भी अन्धकार में है।