Home Blog Page 32

गुजरात नतीजों के बाद, मप्र में माफी मांगने और रायता समेटने का समय…

0

राघवेंद्र सिंह

गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड तोड़ जीत से मध्य प्रदेश के भाजपा नेता जितने खुश हैं उतने डरे हुए भी हैं। जैसे कुछ बच्चे हॉरर मूवी खुश होकर देखते भी हैं और डर के मारे चीखते चिल्लाते भी हैं। गुजरात के परिणाम आनेवाले दिनों में बहुत से नेताओं के लिए हॉरर शो के नतीजे देने वाले हो सकते हैं। इस बीच प्रदेश में भाजपा के लिए एक संयोग से सुखद समारोह भी हो गया। मौका था दमोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया के 75 वी सालगिरह पर आयोजित अमृत महोत्सव का। इस कार्यक्रम में आने वाले चुनावी साल में क्या क्या होगा ? वह सब कुछ था। गलतियों में सुधार, माफी मांगने के साथ जो राजनीतिक रायता फैल रहा है उसे समेटने का शानदार शो। इसमे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का यह कहना कि जयंत मलैया जी के बिना दमोह अधूरा है। समारोह उनके रिटायरमेंट का नहीं है बल्कि मलैया जी आगे बहुत काम करना है। चुनाव की दृष्टि से यह संकेत है कि जिस दमोह में भाजपा 17000 से अधिक वोटों से उपचुनाव हार गई थी वहां आने वाले दिनों में मलैया परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है। बात यहीं नहीं रुकती पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जो भाषण दिया उसने तो दिल ही जीत लिया।

उन्होंने दमोह उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद जयंत मलैया को पार्टी द्वारा किए गए नोटिस पर जो रहस्य उजागर किया उसने तो राजनीतिक समीकरण बदल दिए। भाजपा में ऐसा पहली बार हुआ कि पार्टी महासचिव ने सबके सामने हाथ जोड़कर कहा जयंत जी को जो नोटिस दिया गया था तब मेरा दिल भीतर से दुखा। उसके लिए पार्टी की तरफ से मैं माफी मांगता हूं। गलतियां सबसे होती है। पार्टी से भी हुई। उन्होंने कहा जब मलैया जी को नोटिस दिया तो इस पर मैंने राज्य से लेकर दिल्ली तक अपनी शिकायत की और दुख व्यक्त कर कहा था यह अच्छा नहीं हुआ।

मलैया जी को नोटिस देना पार्टी की भूल थी। अमृत महोत्सव का अवसर गलतियां सुधारने, माफी मांगने और रायता समेटने का आरम्भ माना जा रहा है। इस कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल की उपस्थिति ने बता दिया कि युवा मोर्चा की टीम में ये सब नेता कभी एक ही सिक्के के दो पहलू हुआ करते थे आज भी मुश्किल दिखने वाले वक्त में डैमेज कंट्रोल के लिए उनके बीच वही तालमेल है। बहुत सम्भव है आने वाले दिनों में पार्टी से निष्कासित किए गए नेता प्रीतम लोधी का विवाद भी सुलझा लिया जाए। नेताओं को पता है कि पार्टी अगड़े – पिछड़े, छोटे- बड़े, बूढ़े और युवाओं को साथ लेकर यहां तक आई है। सीएम शिवराज सरकार के स्तर पर पहले से ही सक्रिय नजर आ रहे हैं अब वे अहंकार त्याग संगठन के साथ उन नेता और कार्यकर्ताओं के लिए भी एक उम्मीद के रूप में आगे आ रहे हैं जो उम्रदराज होने के कारण हाशिए पर डाल दिए गए हैं।


प्रदेश में गुजरात मॉडल के खतरे…

मध्यप्रदेश में खतरों को जाने बिना गुजरात मॉडल लागू करने की बात हो रही है। लेकिन उन भोले- भाले नेताओं को नहीं पता “गुजरात मॉडल” उनकी सियासत पर भी फुल स्टाप लग सकता है। गुजरात मॉडल फार्मूले का मतलब है पूरे घर के बदल डालेंगे। इसे समझने के लिए पाकिस्तान के हास्य कलाकार उमर शरीफ केक डायलॉग को याद करना मौजू रहेगा। पाकिस्तान में उमर शरीफ कहते थे जो लोग इस्लाम को लागू करने की बात करते हैं उन्हें नहीं पता इसमें खून के बदले खून और चोरी के बदले हाथ काट दिए जाते हैं। पाक में इस्लाम लागू हो गया तो आधा पाकिस्तान ठूँठा हो जाएगा। हालांकि गुजरात मॉडल हिमाचल प्रदेश में सफल नहीं हो पाया इसलिए जरूरी नहीं कि मध्य प्रदेश में इसे को लागू किया जाए। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जानता है कि मध्य प्रदेश अलग तासीर का राज्य है यहां पुराने नेताओं की उपेक्षा दिल्ली नगर निगम में हार दिला सकती है तो विधानसभा चुनाव में भी इसके परिणाम नेगेटिव हो सकते हैं इसलिए नेतृत्व फूंक कर कदम रखेगा। मध्य प्रदेश की सियासत थोड़ी अलग है। गुजरात फार्मूला खतरों के खिलाड़ियों वाले खेल की तरह हो सकता है। जिसमे खिलाने वाले को तो आनंद आता है लेकिन खेलने वालों की जान पर बन आती है।


आप के आने से भाजपा फायदे रहेगी
गुजरात के बाद मध्यप्रदेश में आम आदमी पार्टी के सक्रिय होने से भाजपा नेतृत्व को राहत है। भाजपा नेताओं का मानना है कि आप कांग्रेस के ही वोट काटेगी। इससे भाजपा की जीत का अंतर बढ़ेगा और सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त होगा। पहले भी बसपा सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की चुनाव में उपस्थिति भाजपा के लिए लाभकारी सिद्ध होती रही है।

रक्तदान कर बचाई महिला की जान

0

TIO BHOPAL


भोपाल। श्री राष्ट्रीय प्रताप फाउंडेशन भारत के सदस्य हमेशा रक्तदान के लिए तत्पर रहता है। इस मानव कल्याण कार्य में सिविल लाइन हॉस्पिटल भोपाल बी पोजिटिव ब्लड की आवश्यकता थी। आष्टा तहसील ग्राम परवा गोसाईं की बुजर्ग महिला को उनका घुटनों का आॅपरेशन होना था जेसे है श्री राष्ट्रीय प्रताप फाउंडेशन भारत के सदस्यों को पता चला तुरंत रक्तवीर देवजी राजपूत एवं राजेश सिंह राजपूत हॉस्पिटल पहुंचे और रक्तदान देवजी राजपूत जी ने किया।
संजय राजपूत ने बताया कि अभी तक श्री राष्ट्रीय प्रताप फाउंडेशन भारत 200 से भी अधिक रक्तदान अलग-अलग राज्यों में कर चुका है, जिसमें मधयप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, उड़ीसा , दिल्ली आदि जगह श्री राष्ट्रीय प्रताप फाउंडेशन भारत के योद्धा निस्वार्थ भाव से निशुल्क सेवा प्रदान कर रहे हैं। नरेश rajput (मेवाड़ा ) ने बताया कि यह संगठन हमेशा से लोगों की सेवा करता आया है और करता रहेगा।

हिमाचल में फिर पलटा पांसा, कांग्रेस 37 और भाजपा 28 सीटों पर आगे

0

गुजरात में नरेंद्र से ज्यादा सीटें भूपेंद्र ले आए:155 सीटों के साथ भाजपा की रिकॉर्डतोड़ जीत के आसार

TIO NEW DELHI

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के वोटो की गिनती जारी है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से किसी भी दल ने लगातार दो विधानसभा चुनाव नहीं जीते हैं। यदि भाजपा इस राज्य में सत्ता में बनी रहती है तो यह भी एक रिकार्ड होगा। हिमाचल में 68 निर्वाचन क्षेत्रों में 412 उम्मीदवारों की किस्मत का आज फैसला होगा। सुबह 8 बजे से 68 विधानसभा सीटों पर मतगणना हो चुकी है। प्रदेश में एक ही चरण में 12 नवंबर को आयोजित किया गया था।

  • मंडी की पांचों सीटों के रिजल्ट घोषित: करसोग सीट पर दीपराज कपूर ने कांग्रेस के महेशराज को हराया। सरकाघाट सीट पर दलीप ठाकुर ने कांग्रेस के पवन कुमार को हराया। मंडी सीट पर अनिल शर्मा ने कांग्रेस की चंपा ठाकुर को हराया।
  • शिमला ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व CM दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह कुल 7233 मतों से आगे चल रहे हैं।
  • निर्दलीय उम्मीदवार केएल ठाकुर, नालागढ़ और और हितेश्वर सिंह बंजार विधानसभा क्षेत्रों से आगे चल रहे हैं।
  • भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा के गृह जिले की चार में से 2 सीटों पर BJP और दो सीटों पर कांग्रेस आगे है।

गुजरात में भाजपा ऐतिहासिक जीत दर्ज करती दिखाई दे रही है। काउंटिंग के रुझानों के मुताबिक भाजपा 182 में से 146 सीटों पर आगे है और 9 सीटों पर वह जीत चुकी है। अगर ये रुझान नतीजों में तब्दील होते हैं, तो भाजपा 1985 में कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड तोड़ देगी। मोदी के गुजरात का उट रहते भाजपा ने 2002 के चुनाव में 127 सीटें जीती थीं।

आंकड़ों पर जाएं तो 1985 के चुनाव में माधव सिंह सोलंकी की अगुआई में कांग्रेस ने 149 सीटें जीती थीं। भाजपा 150 का आंकड़ा पार करने पर अपनी जीत का नया बेंचमार्क तय करेगी, साथ ही साथ कांग्रेस की जीत का रिकॉर्ड भी तोड़ देगी। दिलचस्प बात यह है कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था- नरेंद्र का रिकॉर्ड भूपेंद्र तोड़ेंगे। चुनाव नतीजों में यह नजर भी आ रहा है।

बोरवेल में गिरा आठ साल का मासूम, 15 घंटे से बचाव कार्य जारी, पथरीली जमीन के कारण धीमी गति से हो रही खोदाई

0

TIO बैतूल

जिले के मांडवी गांव में बोरवेल में फंसी जिंदगी को बचाने की जद्दोजहद पिछले 15 घंटे से लगातार की जा रही है। यहां आठनेर क्षेत्र के आठ साल का तन्मय साहू मंगलवार शाम करीब पांच बजे खेत के पास पुराने बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। प्रशासन के द्वारा बचाव का कार्य प्रारंभ किया गया, जो रात भर चलता रहा। अभी तक लगभग 35 फीट गहराई की खोदाई हो पाई है। इसके बाद सुरंग बनाने का काम किया जाएगा। बोरवेल में आक्सीजन पहुंचाई जा रही है। हालांकि बोरवेल में फंसे तन्मय के शरीर में कोई हरकत नजर नही आ रही है। मौके पर प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस और एसडीईआरफ की टीम तैनात है। मौके पर छह पोकलेन, तीन बुलडोजर, ट्रैक्टर खोदाई और निकल रही मिट्टी मुरम को हटाने में लगाए गए हैं।
आठनेर के कृष्णा गायकी ने बताया कि मांडवी के सुनील साहू का बालक खेत में खेल रहा था। इसी दौरान वह करीब 50 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। यह बोरवेल तीन दिन पहले ही खोदा गया था। खेत में इस बोरवेल की गहराई करीब 400 फीट है। कलेक्टर अमनवीर सिंह बैंस ने बताया कि बोरवेल में फंसे तन्मय को रस्सी के सहारे बाहर निकालने का प्रयास किया गया था। उसके हाथ में रस्सी बंध गई और उससे करीब 12 फीट उपर तक खींच लिया गया था लेकिन रस्सी खुल गई और वह वहीं पर अटक गया। अब तन्मय करीब 38 फीट गहराई पर अटका हुआ है। इसके बाद से उसके शरीर में हलचल नजर नहीं आई है। दूसरी ओर से भी गड्ढे की खोदाई शुरू की गई है।

तन्मय को भोजन पानी देना मुश्किल

बचाव अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि बच्चे को खाना और पानी पहुंचाने में समस्या है, क्योंकि उसके हाथ ऊपर है। बोरवेल के पास पश्चिम दिशा की ओर से करीब 25 फीट तक खोदाई के बाद कठोर चट्टान आने से काम धीमा हो गया। इसे देखते हुए प्रशासन द्वारा पूर्व दिशा की ओर से भी खोदाई कर सुरंग बनाने का काम रात करीब 12 बजे से शुरू कर दिया है।

कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस ने बताया कि तन्मय 35 से 40 फीट के बीच फंसा हुआ है। उस तक पहुंचने के लिए 40 फीट गहराई तक खोदाई की जाएगी और फिर सुरंग बनाकर उसे निकाला जाएगा। पथरीली जमीन होने से खोदाई में वक्त लग रहा है।

कमिश्नर, डीआइजी मौके पर पहुंचे

तन्मय को बाहर निकालने के लिए सुरंग बनाने के लिए पोकलेन मशीनों की मदद से खोदाई का काम किया जा रहा है। बोरवेल में लगातार आक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। सीसीटीवी कैमरे से तन्मय पर प्रशासनिक अधिकारी नजर भी रखे हुए हैं। नर्मदापुरम संभाग के आयुक्त श्रीमन शुक्ला एवं डीआईजी जगत सिंह राजपूत भी ग्राम मांडवी में मौका स्थल पर पहुंच गए हैं।

गांव के जूनावानी रोड पर नानक चौहान के खेत में पुराना बोरवेल का गड्ढा है। इस पर बोरा डालकर ढांक दिया गया था। मंगलवार को सुनील साहू और परिवार के लोग खेत में पूजा करने के लिए गए थे। इसी दौरान तन्मय खेलते हुए पुराने बोरवेल के पास पहुंच गया और अचानक उसमें गिर गया। परिजनों ने टार्च की रोशनी में उसे देखा तो उसके हाथ ऊपर की ओर हैं।

देश के पहले सरकारी पंचकर्म सेंटर का भोपाल में उद्घाटन

0

TIO BHOPAL

पंचकर्म के लिए अब लोगों को केरल की यात्रा नहीं करना पड़ेगी। भोपाल में ही 5 स्टार होटल फैसिलिटी के बीच केरल के थैरेपिस्ट पंचकर्म करेंगे। भोपाल में कलियासोत डैम के किनारे देश के पहले सरकारी पंचकर्म एंड वेलनेस सेंटर का आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उद्घाटन किया। पहाड़ी पर बने इस सेंटर में हरियाली और डैम के किनारे लोगों को पंचकर्म की फैसिलिटी मिलेगी।

राहुल के फ्लाइंग किस का अंदाज देख सभी मुस्कुराए

0

TIO NEW DELHI

राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का आज दूसरा दिन है। झालावाड़ के खेल संकुल से सुबह करीब छह बजे शुरू हुई यात्रा ने करीब दस किलोमीटर का सफर पूरा कर लंच ब्रेक लिया है। फिलहाल यात्रा झालावाड़ जिले के देवरी घाटा में है। आज के दिन की यात्रा का दूसरा चरण दोपहर 3.30 बजे से स्टार्ट होगा। इससे पहले चार घंटे की यात्रा में राहुल व दूसरे यात्री राजस्थान के सांस्कृतिक रंगों के साथ घुलते-मिलते नजर आए।

वहीं, भारत जोड़ो यात्रा जब जिला भाजपा कार्यालय के सामने से निकली तो राहुल का रिएक्शन देखकर सभी मुस्करा दिए। दरअसल, BJP ऑफिस पर भी कई लोग यात्रा को देखने के लिए सुबह से ही जमे हुए थे। राहुल की नजर जब उन पर पड़ी तो उन्होंने फ्लाइंग किस देकर लोगों का अभिवादन किया।

आज दोपहर बाद भारत जोड़ो यात्रा झालावाड़ से कोटा जिले में एंट्री करेगी। यात्रा में आज करीब 23 किमी. का सफर तय किया जाएगा। अगले चार दिन यह यात्रा कोटा जिले में रहेगी। इस बीच राजस्थान में यात्रा की एंट्री वाले दिन ही राजस्थान कांग्रेस को नया प्रभारी भी मिल गया। पंजाब के सीनियर लीडर सुखजिंदर सिंह रंधावा को पार्टी ने माकन के इस्तीफे के बाद प्रभारी नियुक्त किया है। रंधावा कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य भी मनोनीत किए गए हैं।

हालांकि, 9 दिसंबर को यात्रा का ब्रेक रहेगा। इससे पहले सोमवार को पूर्व CM वसुंधरा राजे के निर्वाचन क्षेत्र वाले झालावाड़ जिले में भीड़ जुटाकर कांग्रेस ने सियासी ताकत दिखाने का प्रयास किया।

यात्रा के दौरान राहुल गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व पर फोकस कर रहे हैं। यात्रा के रूट में आने वाले कुछ मंदिरों में भी जा सकते हैंं।राहुल गांधी ने एक दिन पहले ही जय सियाराम और हे राम नारे को लेकर BJP-RSS को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा भाजपा को जय सियाराम बोलना ही पड़ेगा।

मध्यप्रदेश में यात्रा के दौरान भी उज्जैन में राहुल गांधी ने जय सियाराम नहीं बोलने के मुद्दे पर BJP-RSS पर निशाना साधा था।

इस पर सियासी विवाद भी हुआ था। वहीं, BJP प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया राहुल गांधी से राजस्थान में रहने तक रोज एक सवाल पूछ रहे हैं।

यात्रा से जुड़े 5 बड़े अपडेट

  • सुबह छह बजे झालावाड़ के खेल संकुल से शुरू हुई यात्रा करीब दस बजे देवरी घाट पहुंची है। यहां लंच ब्रेक लिया गया है।
  • इससे पहले चार घंटे के सफर में राहुल के साथ प्रदेश कांग्रेस के सभी बड़े नेता नजर आए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी सुबह से साथ चल रहे हैं।
  • इस बीच झालावाड़ BJP ऑफिस पर खड़े लोगों का राहुल ने अभिवादन किया और फ्लाइंग किस देकर आगे बढ़ गए।
  • इसके बाद 3.30 बजे कोटा के सुकेत से यात्रा का दूसरा फेज शुरू होगा। शाम 6:30 बजे बजे यात्रा रामंगज के हिरिया खेडी पहुंचेगी। यहां कल की यात्रा का आखिरी कार्यक्रम होगा। इसके बाद दर्रा के मोरू कलां खेल मैदान में यात्रा का रात्रि विश्राम होगा।
  • राहुल गांधी यात्रा के दौरान चुनिंदा किसानों, मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। झालावाड़ जिले में पहले दिन भी राहुल गांधी ने कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, किसानों से मुलाकात की थी।

केसवानी फाऊँडेशन का गठन किया

0

TIO भोपाल

केसवानी फाऊँडेशन का गठन किया गया है, केसवानी परिवार हमेशा ही स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर भोपाल गैस त्रासदी तक तो सारी लड़ाइयां लड़ीं,साथ ही साथ सामाजिक कुनीतीयों से लेकर अनेकों सामाजिक मुद्दों पर संघर्ष किया है।

पत्रकारिता में भी पीढियों से कार्यरत हैं।साहित्य में भी अपना खूब योगदान दिया है,साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी सफल योगदान दे रहा है। पर अब अनेक क्षेत्रों में कार्य करने वालों को हर संभव सहायता व उत्कृष्ट कार्य के लिए देश भर में ऐसे लोगों को प्रोत्साहित के साथ साथ सम्मानित करने का निर्णय लिया है जिसकी रूपरेखा जल्द ही सार्वजनिक की जायेगी। आप सभी मित्रो के सहयोग से ही कार्य संभव होगा।

भोपाल गैस कांड: राजकुमार केसवानी ने पहली ही चेता दिया था कई पीढिय़ां रहेंगी पीडि़त, तब बहरे कानों ने सुनीं होती आवाज तो आज चौथी पीढ़ी रहती सलामत

0

शशी कुमार केसवानी

राजकुमार केसवानी देश के पहले पत्रकार थे जिन्होंने भोपाल गैस कांड से ढाई साल पहले ही यूनियन कार्बाइड के संयंत्र में सुरक्षा चूक को लेकर आगाह कर दिया था। आखिरकार 3 दिसंबर 1984 को भोपाल में हुई इस दुनिया की भयानक औद्योगिक त्रासदी में 15 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी। केसवानी ने एक आलेख में लिखा था, ‘1981 के क्रिसमस के समय की बात है। मेरा दोस्त मोहम्मद अशरफ यूनियन कार्बाइड कारखाने में प्लांट आॅपरेटर था और रात की पाली में काम कर रहा था। फॉस्जीन गैस बनाने वाली मशीन से संबंधित दो पाइपों को जोड़ने वाले खराब पाइप को बदलना था। जैसे ही उसने पाइप को हटाया, वह जानलेवा गैस की चपेट में आ गया। उसे अस्पताल ले जाया गया पर अगली सुबह अशरफ ने दम तोड़ दिया। अशरफ की मौत मेरे लिए एक चेतावनी थी। जिस तरह मेरे एक दोस्त की मौत हो गई, उसे मैंने पहले ही गंभीरता से क्यों नहीं लिया? मैं अपराधबोध से भर गया। उस समय मैं पत्रकारिता में नया था कुछ छोटी-मोटी नौकरियां की थीं। बाद में 1977 से अपना एक साप्ताहिक हिंदी अखबार रपट निकालने लगा था।



यह आठ पन्नों का एक टैब्लॉयड था। महज 2000 के सकु्रलेशन वाले इस अखबार को विज्ञापन से न के बराबर आमदनी होती थी। पर हां कुछ मेरे मित्रों का हमेशा सहयोग रहता था और इसके लिए एकमात्र सहारा था मेरा छापाखाना ‘भूमिका प्रिंटर्स’, जिसे बैंक से कर्ज लेकर शुरू किया था। जिसे मेरा छोटा भाई शशीकुमार केसवानी पूरा सहयोग करता था और पूरा समय भी देता था। इस अखबार की वजह से मुझे अपनी पसंद की खबरें बिना किसी रोक-टोक के छापने की आजादी मिली। बस यहीं से यूनियन कार्बाइड की पोल खोलने का अभियान शुरू हुआ। अखबार हम देर रात को छापा करते थे ताकि कोई मुश्किल खड़ी न हो सके। रातभर प्रेस पर मैं और मेरा भाई अपने सामने अखबार छपवाते थे। सुबह होेते ही मित्रों के सहयोग से उसका वितरण कर दिया जाता था। जो अपने आप में बहुत ही रोमांचकारी रहता था। कई मित्र कहते थे यार तुम लोग तो जान हथेली पर लेकर काम करते हो। भोपाल में 1984 में दो और तीन दिसंबर की मध्यरात्रि में अमेररिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से जानलेवा गैस लीक होनी शुरू हुई थी। देखते-देखते आसमान में मिक गैस का जहरीला बादल बन गया था। हजारों लोगों की मौत हुई और एक लाख से ज्यादा लोग इस हादसे में बेघर, बीमार या फिर अपंग हुए थे। मामले के दोषियों को नाममात्र की सजा मिली थी। गैस कांड के 26 साल बाद, सात जून 2010 को जब भोपाल जिला न्यायालय ने सात आरोपियों में से हर एक को दो-दो बरस की सजा सुनाई थी। केसवानी ने इसकी गणना कर बताया था कि भोपाल में हुई मौतों में से हर मौत के लिए महज 35 मिनट की सजा हुई।  रिपोर्ट के मुताबिक, 500,000 से अधिक लोगों की (जो 2259 के आसपास तुरंत मर गये) एमआईसी की जहरीली गैस के रिसाव के कारण मृत्यु हो गयी। बाद में, ये पूरे विश्व में इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदा के रुप में जाना गया जिसके लिये भविष्य में इस प्रकार की आपदा से दूर रहने के लिए गंभीर निवारक उपायों की
आवश्यकता है।

2-3 दिसंबर की दरमियानी रात को हम लोग अपने परिवार के साथ सो रहे थे। मैंने भाई राजकुमार केसवानी को फोन कर बोला कुछ गड़बड़ हुआ है कुछ अजीब सा लग रहा है। कुछ घबराहट हो रही है। वो नींद में थे कहा कुछ नहीं सो जाओ। फिर उनका फोन बजा कहा मुॐक्के शक हो रहा है शायद गैस लीक हुर्ई है। तो मैं एकदम घबराकर उठा और एक मिनट बाद आंखे जलने लगी। क्योंकि हम गैस के बारे में जानते थे। अपनी पूरी सुरक्षा के साथ अपनी गाड़ियों पर सुरक्षित स्थानों की तलाश में निकले और परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। फिर मैं और भाई यूनियन कार्बोइड की तरफ चले गए।
और अपनी जान की परवाह न करते हुए लोगों को भागने-दौड़ने से मना करते रहे तथा कंट्रोल रूम जाकर एसपी को स्थिति से अवगत कराया।
शशी कुमार केसवानी


केसवानी ने दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक त्रासदी से दो साल पहले 1982 में स्थानीय हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र रिपोर्ट में भोपाल में यूनियन कार्बाइड संयंत्र में सुरक्षा चूक पर तीन लेख प्रकाशित किए थे: पहले लेख का शीर्षक था; बचाइए हुजूर इस शहर को बचाइए। फिर, 26 सितंबर, 1984 को एक और लेख प्रकाशित हुआ था जिसका शीर्षक था, ज्वालामुखी के मुहाने बैठा भोपाल इसके बाद एक और यानी तीसरा लेख आया, न समझोगे तो आखिर मिट ही जाओगे। 2-3 दिसंबर को संयंत्र से घातक गैस के रिसाव से ठीक छह महीने पहले, उन्होंने एक और लेख लिखा: ‘भोपाल: एक आपदा के कगार पर’, जिसमें एक संभावित आपदा के बारे में स्पष्ट चेतावनी दी गई थी। केसवानी ने नवंबर 1982 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को पत्र लिखकर संयंत्र से होने वाले खतरों की चेतावनी दी थी। उन्हे पत्र का कभी जवाब नहीं मिला।

दादा-पिता ने तड़पकर दम तोड़ा, चौथी पीढ़ी भी विकलांग

भोपाल के इंद्रानगर की रहने वाली फूलवती साहू आज 62 साल की हो चुकी हैं। 37 साल पहले हुए गैस कांड का वो मंजर आज भी नहीं भुला पाईं। उनके हाथ-पैर में पैरालिसिस (लकवा) है। भोपाल गैस कांड की पीड़ितों में से एक हैं। उन्होंने गैस हादसे को बहुत करीब से देखा। अपने सामने कई अपनों को तड़प-तड़पकर मरते देखा। सास-ससुर और पति की एक के बाद एक मौत हो गई। एक बेटा भी चल बसा। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी गैस त्रासदी को भले ही 37 साल बीत गए हों, लेकिन जख्म आज भी ताजा हैं। फूलवती की चौथी पीढ़ी गैस त्रासदी का दंश भोग रही है। फैक्ट्री के ठीक सामने जेपी नगर में ऐसा कोई घर नहीं है, जहां गैस की वजह से किसी की मौत न हुई हो या फिर कैंसर, शुगर या दिव्यांगता जैसी गंभीर बीमारियों से आज भी न जूझ रहा हो। पीड़ितों का दर्द सुनकर हर किसी का कलेजा भर आता है। जेपी नगर में ही गैस त्रासदी में मारे गए लोगों को याद करने के लिए एक स्मारक भी बनाया गया है। फूलवती बाई का कहना है कि उनकी फोटो से ही यह स्मारक बनाया गया है। गोद में जो बच्चा है, तब सबसे छोटा बेटा दीपक है, जबकि साड़ी का पल्लू जिसने पकड़ा है, वह सबसे बड़ा बेटा सुनील था। सुनील की 3 साल पहले ही मौत हुई है। इस हादसे को भले ही 37 साल बीत चुके हों और आज 38वीं बरसी मनाई जा रही है, लेकिन दर्द आज भी ताजा है। किसी ने पति-बेटों को आंखों के सामने मरते देखा तो किसी ने अपनी तीन पीढ़ियां खो दी। मैं विष्णु बाई। उम्र 70 साल है। फैक्ट्री की बाउंड्रीवॉल से सिर्फ 100 मीटर दूर पर ही कच्चा झोपड़ीनुमा मकान था। इसमें मैं और बड़ी बहन का परिवार रहता था, लेकिन गैस कांड ने हमारा सबकुछ छीन लिया। आज भी उस दर्दनाक मंजर को याद करती हूं, तो सिहर उठती हूं। रात के 12 बजे थे। हम सब गहरी नींद में थे, तभी शोर सुना। घर से बाहर निकलकर देखा तो चारों ओर भगदड़ मची थी। कई लोग भागते-भागते ही गिर रहे थे। लाशें बिछ रहीं थीं।

राजकुमार हरदम पीड़ितों की मदद में जुटे रहे

भारत में कहीं और क्लोरीन संयंत्र में हुए रिसाव का जिक्र करते हुए, जिसने कई लोगों को प्रभावित किया था, केसवानी ने अपने लेख में कहा था कि अगर भोपाल में ऐसी कोई दुर्घटना होती है, तो जो होगा उसकी गवाही देने वाला एक अकेला गवाह भी नहीं मिलेगा। उस लेख में केसवानी ने संयंत्र में सुरक्षा उपायों पर तीन अमेरिकियों द्वारा लिखी गई मई 1982 की एक रिपोर्ट का विस्तार से हवाला दिया था, जिन्हे यूनियन कार्बाइड के कॉरपोरेट मुख्यालय ने संयंत्र में समस्याओं की जांच के लिए भेजा था। केसवानी ने उन दिनों में घटी घटनाओं की एक श्रृंखला पर भी रिपोर्ट किया था, और कहा था कि 5 अक्टूबर, 1982 को संयंत्र से हुए रिसाव ने पड़ोस की स्लम बस्तियों के हजारों निवासियों को प्रभावित किया था जो डर के मारे वहां से भाग गए थे और वे करीब आठ घंटे के बाद ही वापस लौटे थे। 1975 में एम.एन. बुच, जोकि एक भारतीय नौकरशाह थे, ने भी यूनियन कार्बाइड संयंत्र को वर्तमान स्थान से दूर ले जाने के लिए कहा था क्योंकि इसके आसपास आवासीय बस्तियां तेजी से विकसित हो गई थी। यूनियन कार्बाइड का सौभाग्य है कि डेको कि बुच को जल्द ही उनके पद से स्थानांतरित कर दिया गया। केसवानी ने लिखा था कैसे यूनियन कार्बाइड ने अपने भारतीय अधिकारियों को सुरक्षा उपायों पर किफायत बरतने और सस्ती सामग्री का इस्तेमाल करने की सलाह देकर सुरक्षा हितों से समझौता किया था। संयंत्र कीटनाशकों का उत्पादन करता था और इस उद्देश्य के लिए, उसने मिथाइल आइसोसाइनेट को प्लांट में इकट्ठा किया हुआ था – जो जानकारी के हिसाब से मानव जाति के लिए सबसे घातक रसायनों में से एक है। उन्होंने लिखा कि दुर्घटना की स्थिति में फैक्ट्री बिना सुरक्षा प्रक्रियाओं के बड़ी मात्रा में एमआईसी का भंडारण कर रही थी। ठीक वैसा ही जिसकी की कल्पना की गई थी, 2 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को हुआ था। इस सब के चलते, राजकुमार ने हर कदम पर आपदा पीड़ितों की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित किया, आपदा की रात वे हमीदिया अस्पताल में थे, और जो हो रहा था, उसके बारे में प्रत्यक्ष ज्ञान, जानकारी हासिल कर रहे थे। आखिरकार, जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत यूनियन ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में मामले को 45 करोड़ डॉलर की मामूली राशि में तय कर लिया था, और हर किस्म की आपराधिक कार्यवाही को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त कर दी थी। यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष वारेन एंडरसन, जो उस वक़्त भारत आए थे और उन्हे हिरासत में ले लिया गया था, को जमानत पर रिहा कर दिया गया, और उसके तुरंत बाद वे देश छोड़कर भाग गए, फिर वापस नहीं लौटे।

ST. JOSEPH’S CONVENT SENIOR SECONDARY SCHOOL AN EPITOME OF VISION

0

Mudra Keswani

The 26th of November, 2022 witnessed the entire Bhopal resonate with a resounding, loud and clear message of ‘Celebrating Diversity’ as St. Joseph’s Convent, Idgah Hills, Bhopal celebrated its 66th Annual Function. Principal Sister Lily, had put up a massive show and the efforts of the students and teachers came out beautifully at the Annual Function. The theme of the function of “SJC – An Epitome of Vision”, where the school took up the responsibility of spreading the message of transforming the world. The most unique feature of this program was that more than 2,500 students participated in this grand event. The Chief Guest for this grand occasion was Maj. Gen. Sumer Ivan D’Cunha, GOC Paschim Madhya

Pradesh Subarea accompanied by his wife Mrs. Farha. Many special dignitaries also graced the occasion. The program began with lighting of the lamp to invoke God’s divine presence and grace. This was followed by a prayer dance. A warm welcome was extended to the audience through Abhinandan, a welcome song. The Chief Guest and other dignitaries were offered bouquets of flowers.

This was followed by the theme song, SJC – An Epitome of Vision, which highlighted the theme of the program. A message to conserve the creation by taking some significant actions was given through the item “Call of the Hour”. The tiny tots of the KG section presented “A Letter to Nature with Love” in which they expressed their love and concern for the nature through an action song and a dance. Post-Covid, the world has witnessed a lot of change, especially in the emotional bonding. “Seasons of Emotions” presented this change and solutions in the emotions and feelings through colours. The present age is gripped in the digital media. The skit “Zest to Make a Difference” staged the different scenarios of how people have become addicted to devices and how we must use them judiciously. A deep and profound message to remove corruption and disharmony in the world and to establish peace was given through the item “Navigators of Peace”.

A scintillating fusion dance “Rhythmic Synergy” was performed by the students to show that Diversity can be celebrated in all its colors by being united. The Annual Report “Guardians of Cosmic Unity” presented the achievements of the teachers and students in various fields in the present academic year. The Chief Guest, Maj. Gen. Sumer Ivan, in his address, expressed his appreciation for the grand show presented by the school.

The Principal, Sr. Lilly gave the Vote of Thanks. The program concluded with the National Anthem.

भोपाल के अमाडो कैफे में शानदार फूड का उठाए आनंद, बेकरी भी लजबाव

0

शशी कुमार केसवानी


भोपाल में ई-2/69 अरेरा कॉलोनी स्थित अमाडो कैफे का शुभारंभ हुआ। भोपाल में एक ऐसा कैफे है जहां अंदर जाकर महसूस होता है भोपाल के बजाय किसी मेट्रो सिटी में आ गए हो। बहुत ही सुंदर इंटियर शांत वातावरण हरियाली से भरपूर दिखने वाला नजरिया साथ ही छोटी सी लाइब्रेरी बनी हुई है। जहां आज किसी का भी मन करें घंटों बैठकर पढ़ा जाए या लिखा जाए एक से बढ़कर एक खाने का जायका लिया जाए। मंैने बहुत जगह बर्गर खाए है पर इस तरह का बर्गर शायद मैंने पहले कभी नहीं खाया। बर्गर ही क्यों बाकी जो चीजें मैंने टेस्ट की वो चीजें इतनी अदभुत बनी हुई थी कि बाकी जगहों से हटकर जो स्वाद था वो हमेशा के लिए दिल में बस गया। ब्रेड तो इस तरह की थी जो पहले मंैने कभी भोपाल तो क्या मुंबई में भी नहीं मिली।


हां बैंगलुरु में जरूर मिल जाती है। कैफे की सीईओ शैफ मीनल शैजवार ने बताया कि हम बेकरी में तो काफी लंबे समय से काम कर ही रहे थे लेकिन ये कैफे भी एक अलग तरह से चलाएंगे और लोगों को तरह-तरह के जायकों से परिचित करवाएंगे। इस अवसर पर भोपाल ब्लॉगर्स एसोसिएशन की मीटअप भी आयोजित की गई थी, जिसमें कई ब्लॉगरों ने हिस्सा लिया। ब्लॉगर एसोसिएशन की कोफाउंडर मुद्रा केसवानी ने कैफे के बारें में बताया कि भोपाल वालों को इतनी सौगात मिली है। हम लोगों ने तो खूब स्वाद लिया अब आपकी बारी है।