क्लास में विज्ञान और इतिहास पढ़ाएंगी रोबॉट ‘मैडम’, सवाल-जवाब भी कर सकेंगे छात्र

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बेंगलुरु

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की दुनिया में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए रोबॉट को नियुक्त किया गया है। ईगल 2.0 नाम के इस रोबॉट को 17 सदस्यों की एक टीम ने बनाया है, जिसकी लागत 8 लाख रुपये बताई जा रही है। यह रोबॉट शिक्षिका छात्रों को न सिर्फ पढ़ाती है, बल्कि उनसे सवाल भी पूछती है और जवाबों पर प्रतिक्रिया भी देती है।

टू-वे कम्युनिकेशन में सक्षम है रोबॉट
जानकारी के मुताबिक, बेंगलुरु के इंडस इंटरनैशनल स्कूल में कक्षा 7, 8 और 9 के छात्रों को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, भूगोल और इतिहास पढ़ाने के लिए सहायक शिक्षक के रूप में ह्यूमनॉइड रोबॉट की मदद ली गई है। ईगल 2.0 नाम का यह रोबॉट टू वे कम्युनिकेशन में भी सक्षम है। यह छात्रों से सवाल करने के अलावा उनके जवाबों को ध्यान से सुनने और उस पर प्रतिक्रिया देने में भी समर्थ है।

8-8 लाख के तीन रोबॉट बनाए
इस रोबॉट को 17 लोगों की टीम ने मिलकर भारत में ही बनाया है। इसमें लगे मोटर को अमेरिका से आयात किया गया है। ईगल 2.0 में भी उसी मोटर का इस्तेमाल है, जो चर्चित मानव रोबॉट सोफिया के लिए प्रयोग किया गया था। स्कूल प्रशासन ने बताया कि इस ह्यूमनॉइड रोबॉट को बनाने में 8 लाख की लागत लगी है और ऐसे तीन रोबॉट बनाए गए हैं। इंडस इंटरनैशनल स्कूल के ट्रस्टी लेफ्टिनेंट जनरल अर्जुन रे ने कहा कि टीचर के बतौर ह्यूमनॉइड रोबॉट का इस्तेमाल एक सहयोगपूर्ण शिक्षण मॉडल है।

जो गूगल पर न मिले, वह सिखाएंगे टीचर्स
रे ने कहा कि एक शिक्षक को पाठन सामग्री तैयार करने और उसे छात्रों को संप्रेषित करने में काफी वक्त लगता है। इनमें से तकरीबन सभी सामग्री इंटरनेट पर मौजूद होती है। ऐसे में अध्यापन में रोबॉट का सहयोग लेने पर शिक्षकों का काम आसान हो जाएगा। रे ने कहा कि इससे शिक्षक छात्रों के विकास के लिए जरूरी अन्य ऐसी चीजों पर फोकस कर सकेंगे, जो गूगल या किसी अन्य सर्च इंजन पर नहीं मिल सकतीं।