ग्वालियर-चंबल संभाग में परिवहन माफिया पर आरटीओ की कार्रवाई

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TIO ग्वालियर

चंबल संभाग के अधिकारी, पुलिस और प्रशासनिक अमले ने परिवहन माफिया पर संयुक्त कार्रवाई की। 8 जिलों के आरटीओ अफसरों ने बस स्टैंड पर पहुंचे और अवैध बसों को जब्त करना शुरू किया। इसके बाद अवैध बसों के ड्राइवर और कंडक्टर बसों को छोड़कर भाग निकले।

कंडम बसें, किराया भी ज्यादा, अंचल में यात्री बे-बस

अंचल की सड़कों पर परिवहन माफिया का कब्जा है। निजी बस आपरेटर बने नेताओं का इसमें सीधा दखल है। सिंडीकेट की तरह काम कर रहा यह माफिया यात्रियों का मनमाने ढंग से शोषण करता है। कंडम बसें-महंगे किराया की पूछताछ भी माफिया के गुर्गों को नागवार गुजरती है, यही कारण है कि आए दिन मारपीट से लेकर फायरिंग की घटनाएं सामने आती है। माफियाराज के सफाए के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ अभियान के सख्त दावे के बाद अंचल से यह मांग उठने लगी थी कि आमजन से हर रोज सीधा वास्ता पड़ने वाले परिवहन माफिया पर करारी चोट दी जाए, क्योंकि अब तक प्रशासन इनके आगे बौन साबित हुआ था। 2018 में यात्रियों को राहत देने के लिए अमृत योजना के तहत शुरू की गई संपर्क सूत्र बस सेवा को भी इस माफिया ने ठप कर दिया था।

से समझें परिवहन माफिया की दबंगई

– 600 बसें मुरैना में हैं। डेढ़ सौ बिना परमिट की हैं। यहां भी भाजपा-कांग्रेस के नेता प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से बस ऑपरेटरों से जुड़े हैं। इसकी वजह से कोई कार्रवाई नहीं होती। अमृत योजना में 10 बसों में से सिर्फ 2 ही चल रही हैं।

– 105 बसें दतिया में। भाजपा- कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेता बस संचालन में जुड़े हैं। इससे अधिकांश बस का संचालन बिना परमिट किया जाता है। बसों में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाया जाता है।

500 बसें शिवपुरी से चलती हैं। इनमें डेढ़ सौ से ज्यादा बिना परमिट हैं। माफिया की दबंगई से अमृत योजना की संपर्क सूत्र बस सेवा शुरू नहीं हो पा रही है। संपर्क सूत्र की सिर्फ 6 बस संचालित हैं। इनमें भी 10 बार तोड़फाड़ की जा चुकी है।

– 115 बसें श्योपुर में संचालित हैं। इनमें सिर्फ 16 बस संचालकों के पास परमिट है। माफिया की दबंगई से राजस्थान के बीच संचालित 80 बसों में अधिकांश बिना परमिट हैं। अमृत योजना की 6 बसें शुरू नहीं हो सका है।

410 बसें भिंड से चलती हैं। इसमें से 150 से ज्यादा बिना परमिट की हैं। बसें भाजपा और कांग्रेस नेताओं की हैं। राजनीतिक रसूख की वजह से संपर्क सूत्र की 37 में से सिर्फ 8 बसें ही चल पाईं।