बच्चों को आनंददायक शिक्षा देने का बीड़ा उठाया दृष्टिहीन शिक्षक यशपाल ने

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धार। प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में इन दिनों जॉयफुल लर्निंग कार्यक्रम के तहत शैक्षणिक गतिविधियां चल रही हैं। पर ग्राम सिलकुआं का स्कूल कुछ मायने में प्रदेश के अन्य स्कूलों से अलग नजर आता है। बच्चों को आनंददायक शिक्षा देने का बीड़ा यहां पदस्थ दृष्टिहीन शिक्षक ने उठाया हुआ है।

यहां पदस्थ दृष्टिहीन शिक्षक यशपाल कभी खेल-खेल में, तो कभी खुद नाच-गाकर और गीत, कहानी, कविता आदि द्वारा शैक्षणिक गतिविधियों को पूर्ण कराते हुए बच्चों में शिक्षा के प्रति आनंद का माहौल पैदा कर रहे हैं। इनकी स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चे गरीब घर के हैं। बच्चों ने बताया कि सर पिछले सालों से हमें पढ़ाते आ रहे हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई से हमें कोई परेशानी नहीं हुई है, बल्कि उनके पढ़ाने का और समझाने का तरीका तो अन्य शिक्षकों से भी कहीं ज्यादा बेहतर है।

इंदौर के हैं, 17 साल से गांव के बच्चों को बना ली अपनी जिंदगी
इंदौर में जन्मे यशपाल पिता मंशाराम पाल दृष्टिहीन हैं, लेकिन उनके हौसलों के आगे जिंदगी भी रोशन होने को विवश हो गई। वे 17 साल से डही के आदिवासी इलाके में रच बस गए हैं और गांव के बच्चों को ही अपनी जिंदगी बना ली है। यशपाल ग्राम सिलकुआं के प्रावि में सहायक अध्यापक हैं और ब्रेल लिपि के सहारे सामान्य बच्चों को बखूबी पढ़ा रहे हैं। उनकी आंखों की रोशनी बचपन में ही तब चली गई थी, जब वे दूसरी कक्षा के विद्यार्थी थे।

मस्तिष्क और नेत्रों के बीच रक्त प्रवाह रुकने से देखने की क्षमता खो दी थी।
बावजूद यशपाल ने हार नहीं मानी और ब्रेल लिपि के सहारे हायर सेकंडरी पास की। 2001 में संविदा शिक्षक वर्ग तीन की नौकरी हासिल की और 2005 में सहायक अध्यापक बने। उनकी कक्षा के विद्यार्थी राकेश व शर्मिला ने बताया सर जो भी पढ़ाते हैं, आसानी से समझ लेते हैं। सिलकुआं सरपंच शांताबाई पटेल कहती हैं बच्चों के लिए यशपाल इतने अच्छे से पढ़ाते हैं कि सब खुश हैं।

आसरा दिया, शादी करा दी
यशपाल ने शिक्षक की नौकरी की शुरूआत डही क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय रणगांव से की थी। यहां के ग्रामीण यशपाल से इतने प्रभावित हुए थे कि इंदौर से आए यशपाल को गांव वालों ने रहने को घर दिया और यहां तक कि गांव की लड़की झूमबाई पिता केरिया से यशपाल की शादी भी करवा दी। यशपाल ने झूमबाई का नाम बदलकर ज्योति रख दिया है और इसके पीछे कारण बताते हैं कि पत्नी की आंखों में मैं जिंदगी को देखता हूं।